दशहरा आते ही हर साल,
गावों-शहरों में सैकड़ों रावण उगआते हैं.
इनका प्रायोजित वध कर
असत्य पर सत्य की, अधर्म पर धर्म की,
जय-घोषणा की जाती है.
अच्छे-बुरे के द्वंद्व की कहानी अब बस!
अच्छा लगता है दशहरे का त्योहार;
आदर्शों को उम्मीद दिखाई देती है ,
आज के दिन,
और मूल्यों को
;अपने वज़ूद पर यक़ीन आता है.
सृजन- समस्त बुराइयों की प्रतिमूर्ति का,
कोमलमना मानव के हाथों,
फिर ध्वंस,
रामलीला नहीं है, यह रामकहानी है,
जब तक मानवता क़ायम रहेगी,
धर्म की अधर्म पर, सत्य की असत्य पर, विजय होती रहेगी,
धर्म का अधर्म से , सत्य का असत्य से, समझौता होता रहेगा.
मुक्तिबोध की कहानी 'समझौता' से प्रेरित.
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