चाँद अच्छा लगता है मुझे,
इसलिए नहीं कि खूबसूरत है वह,
बल्कि इसलिए कि रात के खिलाफ़ खड़ा होता है.
मुसीबतें उस पर भी आती हैं,
ठीक हमारी ही तरह,
चढ़ाव-उतार उसके जीवन का हिस्सा है.
अपना दुःख तो फिर भी हल्का है,
उसके लिए सूरज की रौशनी भी धुँंधलका हैैै.
कई बार दिन में सौ बार फतह होता है,
फिर-फिर हर मुश्किल के बाद खड़ा होता है.
उसकी अपनी दुनिया है,
उसकी अपनी ज़िंदगी है,
उसे एक पल की फुर्सत नहीं,फिर भी
जहाँ ज़रूरत देखता है मेरे साथ खड़ा होता है.
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